धूना पूजन

श्री श्री हंस दास जी महाराज जी के नियमानुसार सुबह धूना पूजन से पहले धूने की सफाई की जाती है जिसमें धूना साहिब जी के बर्तनों को भभूति से साफ किया जाता है उसके बाद गऊ के घी के साथ 7.00 से 8.00 बजे के बीच धूना पूजन किया जाता है। उसके बाद शाम को दुबारा सफाई करके 6.00 से 7.00 के बीच धूना पूजन किया जाता है।

कड़ाई, प्रशाद का नियम श्री श्री हंस दास जी महाराज जी के नियमानुसार संगत की मनोकामना पूर्ति के बाद धूना साहिब जी को कड़ाई का भोग लगाया जाता है जिसमें शुद्ध देसी घी, सूजी, चीनी और गरी बुरादा डाला जाता है । यह नियम है कि जो भी संगत धूना साहिब के आगे फरियाद करती है जब वो फरियाद पूरी हो जाती तो उसके बाद कड़ाही प्रशाद का भोग धूना साहिब जी को लगाया जाता है। उसके बाद उसमें से 5 भाग निकाले जाते हैं जो कौआ, कुत्ता, बछड़ा, पानी, गऊ के नाम से निकाले जाते हैं । उसके बाद कड़ाही प्रशाद संगत को बांट दिया जाता है।

आरती

श्री श्री हंस दास जी महाराज जी की समाधि पर सुबह 4.00 से 5.00 और शाम को 6.00 से 7.00 के बीच ओम जय जगदीश जी की आरती की जाती है । श्री श्री हंस दास जी महाराज जी 1925 से यह धूना चला रहे है। यह 24 घण्टे चलता रहता है। धूने साहिब महाराज जी की विशेषता यह है कि यहां पर संगत पूरी श्रद्धा और विश्वास से जो भी मांगती है उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और इसमें 24 घण्टे अग्नि प्रज्जवलित रहती है। यह भगवान शिव का धूना माना जाता है।

मंत्र सिमरण करे -- मौक्श्र का मार्ग ।।